राही कहानी सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपने कारागार के अनुभवों के ऊपर लिखी है।
कहानी के पात्र
राही – एक गरीब औरत जिसे चोरी के जुर्म में कैद किया गया था।
अनिता– एक अमीर घर की महिला जो स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण जेल गयी थी।
राही कहानी की समीक्षा
सुभद्रा कुमारी चौहान जी एक राष्ट्रीय चेतना की रचनाकार रही है।
इसी कारण उन्होंने कई दफ़ा कारागारों में भी समय बिताया है।
उसी समय के अनुभवों को इस कहानी के माध्यम से सुभद्रा जी ने पेश किया है।
कहानी के केवल दो ही केंद्रीय पात्र है एक राही और दूसरी अनिता।
इन दोनों के बीच के वार्तालाप के साथ ही कहानी भी चलती है।
कहानी की शुरुआत प्रश्नावली के रूप में होती है। जहाँ अनिता राही से जेल किस ज़ुर्म में आने का और उससे जुड़ी सारी तमाम बातें पूछती है।
राही ने अपने भूखे बच्चों के पेट भरने के लिए पाँच सेर अनाज की गठरी चुराई और उसी के जुर्म में कारावास में थी।
राही के पीछे उसके बच्चे की देखभाल करने वाला भी कोई नहीं था उसका पति पुलिस की बेवज़ह मार से मारा गया था।
इस ज़ुर्म के लिए उसे एक वर्ष तक कारावास में सजा काटनी थी।
राही माँगरोरी जाति की थी।
कहानी में राही की स्तिथि जानकर अनिता को इस वर्ग संघर्ष से परेशानी होती है जहाँ किसी को पेट भर खाने तक के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
एक ऐसी जाति का हिस्सा थी जिसके लिए कोई कार्य आवंटित नहीं थे।
इस कारणवश वह केवल भीख माँगकर ही अपने गृहस्थी चला सकती थी और भीख न मिले तो चोरी ही दूसरा उपाय था।
गरीब लोग को प्रताड़ित होना ही पड़ता है और पुलिस वाले ही उसे प्रताड़ित करते थे।
दूसरी महिला थी अनिता।
जिसके कारागार आने का कारण था स्वाधीनता आंदोलन।
धनी परिवार से होने के कारण अनिता को कारागार के बी श्रेणी से ए श्रेणी जेल में भेज दिया गया।
ए श्रेणी जेल में सारी मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध थी कोई जेल वाली परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता था।
जीवन की सारी सुख-सुविधाएँ उपलब्ध थी।
कहानी में अनिता के सपनों के अनुसार माँगरोरी जाति के कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया गया है।
अनिता के अनुसार इन महिलाओं को लघु उद्योग के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।
लेखिका के अनुसार देश का कल्याण जनता के आत्मनिर्भर हुए बिना असंभव है।
गरीबी और भुखमरी का अंत हो तथा सभी को भोजन और वस्त्र की मूलभूत जरूरतें प्राप्त हो।